दमोह। अंचलों में रोजगार की स्थिति बेहद चिंताजनक है। बेरोजगारी का आलम यह है कि गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं। युवा रोजगार की तलाश में बड़े शहरों और अन्य राज्यों का रुख कर रहे हैं। लेकिन अब प्रशासन ने पलायन रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। गांव से बाहर जाने से पहले ग्रामीणों को ग्राम पंचायत में कारण बताना होगा।
कलेक्टर की नई पहल
दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि अब तक प्रशासन के पास पलायन का कोई आधिकारिक डाटा नहीं था। इस कारण पलायन रोकने की रणनीति बनाना मुश्किल हो रहा था। नई पहल से यह पता चल सकेगा कि किन गांवों से सबसे अधिक पलायन हो रहा है और वहां आत्मनिर्भर भारत योजना जैसे सरकारी कार्यक्रमों का लाभ पहुंचाकर मजदूरों को गांव में ही रोजगार दिलाया जा सकेगा।
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रनेह में मजदूरों को लेने आती है बस
हटा ब्लॉक के स्नेह गांव में हर हफ्ते दो दिन गुजरात से एक बस आती है। यह बस केवल मजदूरों को ले जाने और वापस लाने के लिए चलती है। मजदूर किराया चुका कर गुजरात जाकर मजदूरी करते हैं और कुछ दिन बाद लौट आते हैं। बस में मजदूरों को भेड़-बकरियों की तरह भरकर ले जाया जाता है।
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मनरेगा में भ्रष्टाचार, मजदूर हो रहे परेशान
मनरेगा योजना कागजों तक सीमित होकर रह गई है। फर्जी मस्टर रोल बनाकर मजदूरों के नाम पर काम दिखाया जा रहा है। कई जगहों पर मजदूरी मशीनों से कराई जा रही है और मजदूरों को उनका उचित हक नहीं मिल रहा। इस कारण मजदूर मजबूरी में गुजरात, भोपाल, इंदौर और अन्य शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
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जबेरा और हटा में सबसे ज्यादा पलायन
जिले के जबेरा और हटा ब्लॉक में सबसे अधिक पलायन हो रहा है। यहां आदिवासी समाज की संख्या ज्यादा है। त्योहारों के बाद तो पूरा का पूरा गांव खाली हो जाता है और घरों में ताले लटक जाते हैं। चुनाव के वक्त प्रशासन इन लोगों को वापस बुलाने के लिए अलग से तैयारी करता है।
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पलायन रोकने की रणनीति – जिपं सीईओ
जिला पंचायत सीईओ प्रवीण फुलपगारे ने बताया कि पलायन रोकने के लिए एक ठोस रणनीति बनाई जा रही है। पलायन करने वालों का डाटा एकत्र किया जाएगा। इसके बाद रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जाएगा ताकि ग्रामीणों को बाहर न जाना पड़े।
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प्रशासन का प्लान
ग्राम पंचायत स्तर पर हर पलायन करने वाले ग्रामीण का नाम और पता दर्ज होगा।
बाहर जाने का कारण लिखवाना अनिवार्य होगा।
पंचायत रोजगार दिलाने का प्रयास करेगी।
हर मजदूर का मोबाइल नंबर दर्ज होगा।
मजदूरों के लौटकर आने की भी जानकारी पंचायत रखेगी।
यह पहल अगर ईमानदारी से लागू होती है, तो दमोह जिले के गांवों से पलायन की समस्या पर काफी हद तक रोक लग सकती है।