कटनी जिले के रीठी जनपद पंचायत के ग्रामीण अंचल में किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं का कोई सुनवाई करने वाला नहीं है। शासन-प्रशासन की योजनाएं भले ही किसानों के उत्थान और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए चलाई जा रही हों, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीण आज भी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं।
ग्राम पंचायत करहैया की एक विधवा महिला, रतिबाई पति स्वर्गीय नोनेलाल, पिछले चार वर्षों से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की राशि पाने के लिए भटक रही है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सहयोग देना है ताकि वे खेती-किसानी से जुड़े खर्च आसानी से उठा सकें, लेकिन विडंबना यह है कि गरीब और असहाय रतिबाई अब तक योजना की एक भी किश्त प्राप्त नहीं कर सकी।
रतिबाई ने बताया कि वह कई बार पंचायत, तहसील और संबंधित कार्यालयों के चक्कर काट चुकी है। लेकिन हर बार उसे केवल आश्वासन ही मिला है। यही नहीं, कई बार कागजात पूरे करने के बाद भी उसका नाम सूची में नहीं जोड़ा गया। इससे साफ है कि जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं।
इस मामले में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रीठी तहसील के अधिकांश पटवारी मुख्यालय में न रहकर शहर से आवागमन करते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को समय पर जानकारी और सहयोग नहीं मिल पाता। जब भी कोई गरीब या किसान अपने हक का सवाल लेकर पटवारी से मिलने जाता है तो उन्हें टाल-मटोल कर भटका दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह जाती हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्रत्येक पात्र किसान को मिलना चाहिए, लेकिन करहैया जैसी पंचायतों में अब भी कई परिवार वंचित हैं। यह प्रशासनिक तंत्र की गंभीर खामियों को उजागर करता है।
ग्रामीणों की मांग है कि शासन इस पूरे मामले की जांच कराए और दोषी पटवारियों तथा संबंधित कर्मचारियों पर कार्यवाही हो। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी पात्र किसान योजनाओं से वंचित न हो।